जलती हुई चिताओं के बीच रंगोली सजा कर आतिशबाजी ढोल बजाकर दीपावली मनाने पहुचे परिजन

भोपाल/ रतलाम । सकारात्मक सोच हो तो आपके मन मे सभी प्रकार की नकारात्मक विचार मन मे प्रवेश ही नही कर सकते हां यह सच है और इसको प्रमाणित किया है रतलाम के कुछ परिजनों ने दुनिया छोड़ चुके पूर्वजों के लिए अपने मन में उनके लिए सम्मान को प्रकटीकरण का यह अजीबोगरीब प्रयोग हुआ है
साथ ही पितृदोष से मुक्ति भी प्राप्ति का है यह उपाय ।
वैसे तो श्मशान घाट में महिलाओं और बच्चों को नहीं लाया जाता है श्मशान का नाम आते ही लोगों के मन मस्तिष्क की सोच बदल जाती है गमजदा माहौल और रोते-बिलखते परिजनों का दृश्य सामने दिखाई देता है रूप चौदस के मौके पर इसी मुक्तिधाम में खुशियों और उत्साह के साथ महिलाएं और छोटे बच्चे भी दीप जलाकर आतिशबाजी करने आते हैं
रतलाम के त्रिवेणी मुक्तिधाम में इस वर्ष भी अनोखी दिवाली का आयोजन किया गया जहां जलती हुई चिताओं के बीच बड़ी संख्या में बच्चों और महिलाओं के साथ दीपावली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है दीपावली के मौके पर अपनों के बीच खुशियां मनाने का आनंद ही कुछ और होता है लेकिन शमशान जैसी जगह पर लोग आतिशबाजी करते, दीप जलाकर ढोल बजाकर खुशिया मनाए तो उसे आप क्या कहेंगे ऐसा ही अनूठा नजारा रतलाम के त्रिवेणी मुक्तिधाम में इस वर्ष भी नजर आया है अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि प्रकट करने के लिए सैकड़ों परिवार यहां दीपावली मनाने पहुंचे हैं ।
रतलाम के त्रिवेणी मुक्तिधाम में हर वर्ष रूप चौदस के दिन अलग ही नजारा देखने को मिलता है रतलाम के मुक्तिधाम में जहां एक ओर तीन चिताएं भी जल रही थी वहीं दूसरी ओर सैकड़ों लोग दीपक जलाकर आतिशबाजी कर रहे थे छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं और वृद्धजन मुक्तिधाम में दिवाली मनाते नजर आ रहे थे मुक्तिधाम में दिवाली मनाने की यह अनोखी परंपरा वर्ष 2006 से लगातार जारी है जिस में शामिल होने के लिए रतलाम ही नहीं अहमदाबाद बड़ौदा और मुंबई से भी लोग यहां पहुंचते हैं
श्मशान में आमतौर पर महिलाएं और बच्चे जाने से बचते है लेकिन रतलाम के त्रिवेणी मुक्तिधाम में छोटे बच्चे और महिलाएं श्मशान में दिवाली मना रहे है यहां पहुंचे बच्चे और महिलाओं का कहना है कि अपने पूर्वजों को दीपदान करने के लिए वह यहां आते हैं शुरुआत में शमशान के नाम से डर लगता था लेकिन अब दीपावली पर यहां आकर रंगोली बनाना और आतिशबाजी करना अच्छा लगता है ।
दरअसल पूर्वजो के साथ दिवाली मनाने की यह परम्परा है जो रतलाम में पिछले कुछ वर्षों से प्रचलित हो रही है यहां लोग मुक्तिधाम को अपने घर की तरह सजाते है और रंगोली बनाकर ढोल की थाप पर आतिशबाजी करते है । अपने तो रहती है अनोखी दिवाली के पूरे विश्व भर में चर्चा हो रही है ।