रोपवे में वीआईपी व्यवस्था के नाम से भेदभाव ठीक नही :- महेश तिवारी
मैहर:- बजरंगदल के पूर्व विभाग संयोजक हिंदू नेता महेश तिवारी ने मैहर रोपवे व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हुए खड़ा करते हुए कहा इन दिनों रोपवे में जो हो रहा है वो रोपवे प्रबंधन और प्रशासन की तानाशाही है, उन्होंने कहा लगातार जिस तरह से पिछले कुछ दिनों में व्यवस्था के नाम पर सामाजिक संगठन के प्रमुख दायित्ववान पदाधिकारी सहित भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त नेता को भी रोपवे प्रबंधन द्वारा अपमानित किया गया है, ऐसा लगता है जनप्रतिनिधि प्रतिष्ठित सामाजिक व्यक्ति तो वर्तमान परिस्थितियों में माता के दर्शन करने तो जा ही नहीं सकता, क्योंकि रोपवे प्रबंधन का कर्मचारी अशरफ अली इन दिनों न जाने किसकी सह पर हिंदू तीर्थ स्थल को विवादित करने में कोई कोर कसर नही नही छोड़ रहा है, श्री तिवारी ने कहा पूरे जिले में प्रशासन की कार्यप्रणाली कटघरे में है अगर प्रशासन ने वी आई पी व्यवस्था लागू की है तो हम उसके पक्षधर है लेकिन उसकी क्या श्रेणी है इसको कलेक्टर और रोपवे प्रबंधन द्वारा चस्पा क्यों नही किया जाता? सांसद, विधायक, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी ही यहां से जायेगे उनके रिश्तेदार या समर्थक इस जगह से नही जायेगे चाहे कोई भी हो जिससे आम भक्तो में असंतोष की भावना उत्पन्न न हो, उसके बाद भी ऐसा होता है तो यह कहना सही होंगा वी आई पी व्यवस्था के नाम पर दलाली चालू जवाबदार लोगो द्वारा ही कराया गया है, जो कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, मैं अन्य जनप्रतिनिधियों से और मैहर के सभी प्रतिष्ठित समाज सेवियों को निवेदन करना चाहता हू की आप भय के वातावरण से मुक्त हो और माता के दर्शन के लिये संकुचित न हो अभी हमारा रक्त इतना ठंडा नही हुआ है कि मध्यप्रदेश शासन के निर्देश की अवहेलना करने के बाद भी समिति में किसी गैर हिन्दू को बिठाकर कुछ लोग व्यवस्था को शासन के निर्देश से हटकर अपने हिसाब से संचालित करेंगे, प्रशासन अगर चाहता है की शांति व्यवस्था बनी रहे तो नियम सबके लिये बराबर करे या सभी लोग रोपवे प्रांगण की व्यवस्था को देखे किसके कितने लोग वी आई पी व्यवस्था से जाते है, और वह किस रैंक के अधिकारी और जनप्रतिनिधि है मुंह देखकर वी आई पी गिरी नही चलने दी जायेगी न ही यहां का हिंदू समाज यह अपमान और बेज्जती सहन करेगा प्रशासन दलालों पर रोक लगाये न की सभी को अपमानित करेगा अन्यथा परिणाम के लिए तैयार रहे, शासन के निर्देश अनुसार ही राजपत्रित अधिकारी ही वीआईपी व्यवस्था से जाये बाकी पर विराम लगाया जाए या प्रशासन कोई निश्चित मापदंड तैयार करें!