हर किसी का सपना होता है कि उसका अपना घर हो। लेकिन घर खरीदना या बनवाना आसान नहीं होता। ज़्यादातर लोग होम लोन लेकर ही अपना घर बना पाते हैं। अगर कोई नौकरीपेशा व्यक्ति होम लोन के लिए आवेदन करता है, तो बैंक उसकी सैलरी, बैंक स्टेटमेंट और दूसरे दस्तावेज़ चेक करता है। लेकिन अगर कोई स्व-रोज़गार करने वाला व्यक्ति होम लोन लेना चाहता है, तो बैंक किन बातों का ध्यान रखता है?

1- उम्र बहुत मायने रखती है

बैंक किसी को भी होम लोन देने से पहले उसकी उम्र ज़रूर चेक करते हैं। अगर कोई स्व-रोज़गार करने वाला व्यक्ति युवा है, तो उसे ज़्यादा लोन मिलने की संभावना होती है। साथ ही, उसे लंबी अवधि के लिए लोन भी मिल सकता है, जिससे EMI कम हो सकती है। इससे लोन चुकाना भी आसान हो जाता है।

2- दस्तावेज़ चेक किए जाते हैं

होम लोन देने से पहले बैंक कई ज़रूरी दस्तावेज़ चेक करता है। इसमें इनकम टैक्स रिटर्न (ITR), प्रॉफ़िट-लॉस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट और बैंक स्टेटमेंट शामिल हैं। इन दस्तावेज़ों से बैंक यह पता लगाता है कि आवेदक की आर्थिक स्थिति कैसी है और उसका व्यवसाय कितना स्थिर है। इससे बैंक को उसके लोन डूबने के जोखिम का अंदाजा हो जाता है।

3- नेट इनकम की गणना

बैंक स्वरोजगार करने वाले व्यक्ति की मासिक आय को भी देखता है। इसके लिए बैंक कई दस्तावेजों की मदद से पता लगाता है कि हर महीने कितनी कमाई हो रही है। अगर बैंक को लगता है कि आवेदक हर महीने EMI भरने में सक्षम है तो लोन मिलना आसान हो जाता है।

4- क्रेडिट स्कोर बहुत जरूरी है

लोन अप्रूवल से पहले क्रेडिट स्कोर भी चेक किया जाता है। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। अगर स्कोर 750 या इससे ज्यादा है तो लोन आसानी से मिल सकता है। अगर स्कोर कम है तो लोन मिलने में दिक्कत हो सकती है। क्रेडिट स्कोर से पता चलता है कि आवेदक ने पहले लिए गए लोन और क्रेडिट कार्ड का भुगतान समय पर किया है या नहीं।

5- बिजनेस के अलावा अन्य आय स्रोत

बैंक यह भी चेक करता है कि आवेदक के पास आय के अन्य स्रोत हैं या नहीं। इसमें बैंक रेंटल इनकम, शेयर या अन्य निवेश से होने वाली आय और रियल एस्टेट से होने वाली आय की जांच करता है। अगर स्वरोजगार करने वाले व्यक्ति के पास व्यवसाय के अलावा कोई और आय स्रोत है, तो होम लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इससे बैंक को यह भरोसा होता है कि वह समय पर लोन चुका पाएगा।