यूपी के कई इलाकों में गोवर्धन पूजा जैसी ही एक पूजा होती है. नाम है गोधन पूजा. इस अनोखी पारंपरिक पूजा को सुहागिन महिलाएं और लड़कियां अपने भाई के सुरक्षा के लिए करती हैं. पूजा के दौरान गाय की गोबर से तमाम सांप और बिच्छू बनाए जाते हैं. अंत में महिलाएं गोधन को कूटकर और रेंगनी का कांटे अपने जीभ में गाड़ कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं.

भाई के लिए की जाती है गोधन पूजा
बलिया जनपद के शनिचरी मन्दिर की रहने वाली शुभाश्री ने बताया कि इस पूजा के लिए सबसे पहले सुबह उठकर सभी लड़कियां इकट्ठा होती हैं और उस स्थान (जहां पूजा होगी) की साफ सफाई कर गोबर से पुताई करती हैं. गोबर से ही सांप, बिच्छू और गोधन बाबा की काल्पनिक प्रतिमा जमीन पर ही बनाई जाती है. इस साल गोधन पूजा 3 नवंबर को है.सारी लड़कियां तैयारी करने के बाद अपने घर चली जाती हैं. पूजा का सामान समेट कर फिर सारी महिलाएं पूजा स्थल पर जुटती हैं. प्रसाद में भाई के संख्या के मुताबिक मिट्टी के बर्तन में चिवड़ा और पटौरा, कुटकी या अन्य मिठाई डालकर सुंदर-सुंदर कपड़े से ढक कर लाती हैं. इसका मुख्य प्रसाद चना होता है. ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद को खाने से दाढ़ी मूछ आती है इसलिए लड़कियां नहीं खाती हैं.

क्या बोले इतिहासकार
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि गोधन पूजा भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ी गोवर्धन पूजा से अलग होती है. इसे महिलाएं प्राचीन काल से अपने अलग अंदाज में मनाती आ रहीं हैं.

क्या है गोधन पूजा की कथा
गोधन पूजा के पीछे कथा भी सुनाई जाती है. कहा जाता है कथा एक बहन और उसके भैया-भाभी से जुड़ी हुई है. लड़की की भाभी का एक प्रेमी था, जो इच्छाधारी नाग होता है. इस षड्यंत्र को न समझते हुए लड़की के भाई इच्छाधारी नाग को मार देता है. जिसे काट काटकर प्रेमी भाभी कुछ अंश खटिया के नीचे कुछ अंश दीये में, तो कुछ अपने जुडे में रख लेती है. इस बारे में पति कुछ समझ नहीं पता है. अंत में बहन को यह सब मालूम हो जाता है, जो अपने भाई की रक्षा करती है. इसे आज भी परंपरागत मुताबिक महिलाएं और लड़कियां इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाती है.

बहनें जीभ में डालती हैं कांटे
बहनें इस पूजा के दौरान रेंगनी (औषधि) के काटे अपने जीभ में डालती हैं. इसके बाद  गोधन बाबा को सुहागिन महिलाएं और लड़कियां कूटती हैं और गीत गाती हैं.