मैहर । मौसम परिवर्तन के समय पर सर्दी खांसी एवं परिवर्तन संबंधी बीमारियां से स्थानीय नागरिक राहत पाने के उद्देश्य से सिविल हॉस्पिटल शरण में जाते हैं ऐसे समय में अगर कोई बीमार हो जाए और वह भी साधनविहीन गरीब घर में तो फिर उसका इलाज भगवान भरोसे है। बेशक जिले के सिविल अस्पताल में मिल रही सुविधाएं सरकार और स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावे की पोल खोलती है। रविवार की रात को सिविल अस्पताल में  आकस्मिक चिकित्सा विभाग में तानाशाही का ऐसा मंजर देखने को मिला ड्यूटी डॉक्टर यह बोल रहा है की आपका मरीज मारता है तो मर जाए हम तो ऐसे ही करेंगे वाह डॉक्टर वाह आपको तो धरती का दूसरा भगवान कहा जाता है लेकिन इस तरह से मरीज के साथ तानाशाही रवैया अक्षम है संबंधित घटनाक्रम मैहर सिविल हॉस्पिटल के बायरल हो रही खबर से प्रकाश मे आया शुभम् पाठक जी की धर्म पत्नी श्रीमती कल्पना शुभम् पाठक  की तबियत अचानक ख़राब हो जाने के कारण उन्हें  सिविल अस्पताल ले ज़ाया गया जिसमे वहाँ उपस्थित डॉक्टर आशुतोष द्विवेदी द्वारा एक इंजेक्शन जो सिविल अस्पताल में उपलब्ध  होना चाहिए था उसके बावजूद उनके द्वारा मना कर दिया गया एवं यह भी कहा गया की अगर आप बहस करेंगे तो इलाज भी नहीं करूगा उपस्थित डॉक्टर द्वारा देख लेने की धमकी दी जा रही है मतलब अब इंसान ख़ौफ़ में आकर इलाज करवाये अगर मरीज के परिजन थोड़ा तेज़ बोले अथवा आपका दायित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाने पर मरीजो को धमकी दी जाये यह कहाँ का न्याय है । सिविल अस्पताल की दरअसल यह एक छोटी-सी घटना है जिसके आधार पर यह समझा जा सकता है कि जिला अस्पताल की इमरजेंसी सेवा किसी आपात परिस्थिति को झेलने में कितनी सक्षम है। यह भगवान भरोसे ही चल रही है।  चिकित्सक की इमरजेंसी में ड्यूटी थी। एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद नहीं रहते । यह घटनाक्रम प्रदेश सरकार के उन बड़े दामों की पोल खोलता है जहां यह बताया जा रहा है कि  24 घंटे सरकारी अस्पतालों में किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए हमारे अस्पताल सक्षम है जिला मुख्यालय होने के बाद भी जिला प्रशासन स्थानीय प्रशासन ने इस विषय पर संज्ञान नहीं लिया यही पर्याप्त है प्रशासनिक संवेदन शून्यता के बारे मे जानने का ।