भोपाल। मप्र में अब 5 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली सडक़ का निर्माण करने पर तालाब बनाना अनिवार्य होगा। वहीं इस तालाब से निकले खनिज का इस्तेमाल सडक़ों के निर्माण में किया जाएगा। इसके मद्देनजर मप्र सरकार अब लोक कल्याण सरोवर योजना लॉन्च करने जा रही है।
इस योजना से किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा। यदि किसी किसान की जमीन निर्माणधीन सडक़ की जद में उनकी जमीन आती है, तो जितनी जमीन सरकार लेगी उसकी मोटा मुआवजा देगी। वहीं किसान के जमीन के आसपास तालाब बनने से फसलों का दोगुना उत्पादन होगा।


इन जिलों में सडक़ निर्माण के दौरान बनाए तालाब
रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, देवास, खंडवा, सीहोर, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, टीकमगढ़, अलीराजपुर, नीमच, उज्जैन, बुरहानपुर, सिवनी, खरगोन में सडक़ निर्माण के दौरान तालाब की खुदाई की गई है। जब सडक़ का निर्माण होता है, तो बड़ी मात्रा में ठेकेदार को मिट्टी, गिट्टी और मलबे की जरूरत होती है। ऐसे में ठेकेदारों को सरकार द्वारा तय की जगह से खनिज निकालने के एवज में रॉयल्टी देनी पड़ती है। अब सरकार लोक कल्याण सरोवर योजना के माध्यम से इस रॉयल्टी में सडक़ ठेकेदारों को छूट देने जा रही है। जिससे कि इस योजना को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके साथ ही सरकार खनिज के परिवहन का खर्च देने पर भी विचार कर रही है। इससे जहां सडक़ निर्माण की लागत कम होगी वहीं किसानों की आय दोगुना होगी।


प्रदेश के 17 जिलों में बन गए ऐसे 50 तालाब
पीडब्ल्यूडी के ईएनसी केपीएस राणा ने बताया कि सीधी जिले में एक सडक़ ठेकेदार ने मिट्टी और मुरम निकालने के खनिज विभाग से अनुमति ली थी। उसने जहां से खोदाई की, वहां तालाब बन गया। इसके आसपास मुंडेर बनाकर उसमें पेड़-पौधे भी लगा दिए। जिसके बाद ऐसे ही ठेकेदारों को प्रदेश के 17 जिलों में 50 तालाब बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। अब इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है।