सतना। आध्यात्मिक वातावरण  में श्रीमद भागवत कथा महोत्सव के विश्राम दिवस के अवसर पर पूर्णाहुति एवं हवन में पधारे पुरानीलंका आश्रम चित्रकूट पीठाधीश्वर रामानुजाचार्य श्रीमद जगतगुरु जी महाराज का किटहा ग्राम के खेर माता प्रांगण में जयघोष के साथ पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत हुआ। व्यासपीठ से अपने आशीर्वचन संदेश में श्री स्वामी जी ने कहा कि कथा श्रवण कर रहे सभी सौभाग्यशाली धर्मप्रेमीजनों बड़ा दुःख का विषय है संस्कृति सरिता सूख रही है, मानवीय संवेदना मुरझा रही हैं। ऐसे कठिन समय में आप सभी ने कथा श्रवण कर अपने उत्कृष्ट जीवन का उदाहरण प्रस्तुत कर मानव जीवन के लिए विचार एवं आदर्श की संपदा जुटाई है। आज आवश्यकता है देव संस्कृति गुरुकुल की जो आज के युग में कौंडिल्य एवं कुमारजीव का निर्माण कर सके। देव संस्कृति के पथ पर चलने-चलाने के लिए यदि हममें से कुछ जन ही आगे कदम बढ़ा सकें, तो फिर से संस्कृति सरिता प्रवाहित होने लगे, मानवीय संवेदना मुस्कुरा उठे और राष्ट्र ही नही समूचे विष्व में मानवीय जीवन फिर से अपना खोया हुआ सौंदर्य पा जाए।
*आत्मबल संवर्द्धन हेतु श्रेष्ठतम अवसर नवरात्रि*
कथा के विश्राम दिवस के अवसर कथा प्रवक्ता युवराज स्वामी ने श्रीमद भागवत कथा के अनेकों प्रसंगों के माध्यम से उपस्थित जनसमुदाय को भाव विभोर किए। भक्त सुदामा की फकीरी एवं भगवान कृष्ण की अमीरी दोस्ती में बाधक नहीं बन सकी। यही हम सबका भी धर्म होना चाहिए। आगामी समय में नवरात्रि की बेला आने वाली है जो आत्मबल संवर्द्धन के लिए श्रेष्ठतम अवसर प्रदान करती है। आप सभी उसका लाभ लें यही हमारी मंगलकामना है। पुनः मिलेंगे के साथ कथा का विश्राम हुआ। व्यासपीठ से कथा व्यास श्री युवराज स्वामी की विदाई के अवसर पर श्रोताओं के अश्रु छलक पड़े।
आयोजक श्रीमती-अंजली सुनील त्रिपाठी एवं निधी संजय त्रिपाठी ने भक्तजनों से भंडारा प्रसाद ग्रहण करने की अपील की है। उपरोक्त शुभ अवसर पर आचार्य प्रशांत, आचार्य नारायण, सुग्रीव पयासी, राजगुरु मनोज अग्निहोत्री, गबलु पटनहा, प्रशांत सिंह लखनवाह, अमित पयासी आदि सैकड़ो श्रद्धालु श्रोतागण उपस्थित रहे।

न्यूज़ सोर्स : पुरानी लंका आश्रम